।।अन्ना तोडलनि अनशन।।
सब क्यो लागथु आब अपन-अपन काज मे
अन्ना तोडलनि अनशन।
जिनका किछु लेबाक होइन से लेथु,
देबाक होइन तं से देथु,
काज जिनका जरूर करेबाक होइन कोनो ने कोनो तरहें,
से कोनो ने कोनो तरहें जरूर कराबथु।
विद्यार्थी लोकनि लागथु कैपिटेशन के जोगाड मे,
बनियां लोकनि अपन धंधा मे लागथु,
बाभन-रजिपूत सम्हारथु ग' अपन-अपन
सल्तनत,
अन्ना तोडलनि अनशन।
जे हेबाक हेतै आगू से आगू हेतै,
जे बनत कानून तकर भूर ताकल जेतै,
कोनो चिन्ता नै, कोनो चिन्ता
नै
सब हेतै, सब हेतै
जखन राज्य नै रहल कल्याणकारी तं राजनीति किए रहतै?
जे चला सकैए देश, से एकटा
लोकपालो चलाएत
संसद कि कोनो झाडा फिरय चल जाएत?
सब हेतै, सब हेतै
मुदा, लागथु तं
पहिने सब क्यो अपन-अपन काज मे।
No comments:
Post a Comment