Friday, March 30, 2012

उनको प्रणाम : नागार्जुन


Baba Nagarjun Yatri

जो नहीं हो सके पूर्णकाम
मैं करता हूं उनको प्रणाम।

कुछ कुण्ठित ' कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट
जिनके अभिमन्त्रित तीर हुए;
रण की समाप्ति के पहले ही
जो वीर रिक्त-तूणीर हुए।
    ---उनको प्रणाम।

जो छोटी-सी नैया लेकर
उतरे करने को उदधि-पार;
मन की मन में ही रही, स्वयं
हो गए उसी में निराकार।
      ---उनको प्रणाम।

जो उच्च शिखर की ओर बढे
रह-रह नव-नव उत्साह भरे;
पर, कुछ ने ले ली हिम-समाधि
कुछ असफल ही नीचे उतरे।
      ---उनको प्रणाम।

एकाकी और अकिंचन हो
जो भू-परिक्रमा को निकले;
हो गए पंगु, प्रति-पद इतने
अदृष्ट के  दांव चले।
      ---उनको प्रणाम।

कृत-कृत्य नहीं जो हो पाए
प्रत्युत, फांसी पर गए झूल;
कुछ ही दिन बीते हैं, फिर भी
यह दुनिया जिनको गई भूल।
      ---उनको प्रणाम।

थी उग्र साधना, पर जिनका
जीवन-नाटक दुःखान्त हुआ;
था जन्म-काल में सिंह-लग्न
पर, कुसमय ही देहान्त हुआ।
"Tumi Chir Sarthi": with Taranand Viyogi

      ---उनको प्रणाम।

दृढ व्रत ' दुर्दम साहस के
जो उदाहरण थे मूर्ति-मन्त;
पर, निरवधि बन्दी जीवन ने
जिनकी धुन का कर दिया अन्त।
      ---उनको प्रणाम।

जिनकी सेवाएं अतुलनीय
पर, विज्ञापन से रहे दूर;
प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके
कर दिये मनोरथ चूर-चूर।
      ---उनको प्रणाम।
(1939)

2 comments:

Mihir Sarkar said...

Read a lot of blogs specially interesting ones like your blog, Good post! I accidentally found your site on the internet, I am going to be coming back here yet again.Love Information Is Beautiful. Keep posting.Read a lot of blogs specially Blogspot
All in all varieties site's Online Search all

Unknown said...

MITHILI language is ancient and unique with its own script.
Inspite of prosperity maithili language doesn't have single newspaper or and magazines in maithili.
We the people of MITHILA must contineously work to preserve the language maithili