Sunday, March 4, 2012

।।कः कालः।।


।।कः कालः।।

केहन अछि ई समय?
केहन अछि?

किछु तीतो अछि, किछु मीठो अछि
किछु ओठर अछि, किछु दोसर अछि

किछु अछि—
पाकल दाडिम दाना-सन भहरैत
किछु कोशी-कछेरक रेगिस्तान-सन ठहरैत

किछु बरफ-सन, किछु आगि-सन
किछु कानि-सन, किछु लागि-सन

किछु सनसनाइत,हनहनाइत
किछु सिमसिमाइत, टिमटिमाइत।

किछु धानक खेत-सन सोनगर-पोरगर हीर अछि
किछु गरीबक आंखि-सन गॅहीर अछि

मानल जे किछु समय तोरा तोडै छह, नछोडै छह
मुदा हौ,
किछु तॅ तोरा
हमरो-सॅग हुनको-सॅग जोडै छह, अगोडै छह।

देखहक, तॅ ई समय कोनो बेजाइयो नै छै
पटए नै किन्नहु तेहन हरजाइयो नै छै।

उनटाबह इतिहास—
बाजह, कहिया एहन समय नै छल?
कहिया?



मुदा, कहिया हम-तों खंडहर नै तोडलहुं?
आर कहह, जे कहिया
समय के छाती पर पगचिह्न नै छोडलहुं?


('प्रलय रहस्य' मे संकलित)

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