बाट द’ क’ चलिहह
तॅ ठेकना क’ देखिहह
एक-एक ठौर, एक-एक ठाम।
ठेकानबह जॅ
तॅ देखबह
जे कोन्नहु टा जग्गह बनि सकैए कुरुक्षेत्र
जखन कि
बोधिवृक्षो जनमि सकैए कोन्नहु टा ठाम।
भेंट-मुलकात होअह जैखन लोक सब सॅ
अतत्तह होश-संगे लिहह एक-एक के नोटिस।
तारभियार करह जोख सॅ तॅ पेबहक तों
जे एक-एक मनुक्ख मे छै
स्रष्टा हेबाक गहराइ तमाम,
जखन कि कोन्नहु टा व्यक्ति बनि सकैए कसाइयो।
हौ बाबू जोगीलाल,
बाट द’ क’ चलिहह
तॅ देखिहह एक-एक ठौर, एक-एक ठाम।
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