।।हम नै तॅ कोइ और सही।।
प्रभात झा
की हौ नेता चलल हेतौ तोरा ओहि बियाबान मे?
देखाइत छौ तोरा मनुख अन्हार मे?
तेज़ रौशनी के आदत हेतौ ने?
सुझैत छौ ओ मनुख जे पतंगा जकां निर्भर अछि
गाछ, पात, पशु, पक्षी पर?
जीवन मे कखनौं गेलह हे ओहि दीस?
सोचलहक हे केना हेतै ओकर जीवन निरबाह
बिना अइ सबहक?
कोंन अधिकारे हम पुछैत छी ई प्रश्न?
केना छी हम ओहि लोकक आवाज़?
की ओकरा सब द' नै बाजिब छइ बाजब?
किया टिपइ छी बीच मे अनेरो?
अधिकार की अछि हमर?
लेकिन की करी?
कोना चुप रही?
किछु त' बाजब?
कोइ त' बाजत?
ओ नै त' हम सही,
हम नै त कोइ और सही.
1 comment:
वाह कवि वाह़ बढियां खबर लेलियनि।
Post a Comment