गजल
तारानंद वियोगी
की जल्दी की देरी बाबा
सब धन बाइस पसेरी बाबा
राजा-नाम सु-राजा जानू
देसक नाम नशेडी बाबा
साधू चोर, गिरहकट नायक
चोरी, तुम्माफेरी बाबा
नेता छी ई, माया बुझियौ
नै तेरी, नै मेरी बाबा
थोक-भाव सं देखू सपना
टूटत बेरा-बेरी बाबा
अपना गामक लोक तकैत अछि चिडै... हमहूं अनभुआर टौन मे तकैत छी माटि-पानि...
पिछली सदी में मैथिली के ज़रूरी रचनाकार हुए कांचीनाथ झा किरण। पिछले दिनों पटना में उनका जन्मशताब्दी समारोह मनाया गया। अंतिका का नया अंक किरण जी पर ही केंद्रित है। इसके अतिथि संपादक हैं तारानंद वियोगी। इस अंक में किरण जी पर मैथिली के महत्वपूर्ण लेखकों ने लिखा है। अंक के लिए अनलकांत (हिंदी वाले गौरीनाथ) से 0120-6475212 पर संपर्क करें या उन्हें antika1999@yahoo.co.in पर ईमेल करें।
1 comment:
नेता छी ई, माया बुझियौ
नै तेरी, नै मेरी बाबा
.... बहुत सुंदर पंक्तियाँ
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