Wednesday, March 12, 2008

रतिया दिन दुरगतिया हे भोला!

1850-60क बीच अंग्रेजी राजक स्थिति और मिथिलाक सामंत लोकनिक दुर्व्‍यवस्‍था कें लक्ष्‍य करैत कवीश्‍वर चंदा झा ई पद लिखलनि।
गैया जगतक मैया हे भोला
कटय कसैया हाथ
हाकिम भेल निरदैया हे भोला
कतय लगायब माथ
बरसा नहि भेल सरसा हे भोला
अरसा कए गेल मेह
रतिया दिन दुरगतिया हे भोला
जन तन जिवन संदेह
मुखिया बड़ बड़ सुखिया हे भोला
अन्‍नक दुखिया डोल
के सह कान कनखिया हे भोला
सुखिया बिरना टोल

विशेष विवरणक लेल मिथिला मे नवजागरण विषय पर तारानंद वियोगी क लिखल लेख देखी। देखबाक लेल तारानंद वियोगी सं 09431413125 पर संपर्क करी।

3 comments:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

नीक पद

Gajendra said...

बड़ नीक प्रस्तुति अविनाशजी,
मुदा बड्ड दिन दिन पर अबैत अछि।

गजेन्द्र ठाकुर
http://www.videha.co.in/
प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका

Unknown said...

nik