नद्दी कातक आमक गाछी मोन पड़ैए
एकपेरिया मे बूलैत बाछी मोन पड़ैए
बड़का बाबा के तड़बा कुड़ियाबैत छलियै
आमक महिना सभतरि माछी मोन पड़ैए
अपना गामक लोक तकैत अछि चिडै... हमहूं अनभुआर टौन मे तकैत छी माटि-पानि...
पिछली सदी में मैथिली के ज़रूरी रचनाकार हुए कांचीनाथ झा किरण। पिछले दिनों पटना में उनका जन्मशताब्दी समारोह मनाया गया। अंतिका का नया अंक किरण जी पर ही केंद्रित है। इसके अतिथि संपादक हैं तारानंद वियोगी। इस अंक में किरण जी पर मैथिली के महत्वपूर्ण लेखकों ने लिखा है। अंक के लिए अनलकांत (हिंदी वाले गौरीनाथ) से 0120-6475212 पर संपर्क करें या उन्हें antika1999@yahoo.co.in पर ईमेल करें।
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