Baba Nagarjun Yatri |
"Tumi Chir Sarthi": with Taranand Viyogi |
अपना गामक लोक तकैत अछि चिडै... हमहूं अनभुआर टौन मे तकैत छी माटि-पानि...
Baba Nagarjun Yatri |
"Tumi Chir Sarthi": with Taranand Viyogi |
तॅ ठेकना क’ देखिहह
एक-एक ठौर, एक-एक ठाम।
ठेकानबह जॅ
तॅ देखबह
जे कोन्नहु टा जग्गह बनि सकैए कुरुक्षेत्र
जखन कि
बोधिवृक्षो जनमि सकैए कोन्नहु टा ठाम।
भेंट-मुलकात होअह जैखन लोक सब सॅ
अतत्तह होश-संगे लिहह एक-एक के नोटिस।
तारभियार करह जोख सॅ तॅ पेबहक तों
जे एक-एक मनुक्ख मे छै
स्रष्टा हेबाक गहराइ तमाम,
जखन कि कोन्नहु टा व्यक्ति बनि सकैए कसाइयो।
हौ बाबू जोगीलाल,
बाट द’ क’ चलिहह
तॅ देखिहह एक-एक ठौर, एक-एक ठाम।
पिछली सदी में मैथिली के ज़रूरी रचनाकार हुए कांचीनाथ झा किरण। पिछले दिनों पटना में उनका जन्मशताब्दी समारोह मनाया गया। अंतिका का नया अंक किरण जी पर ही केंद्रित है। इसके अतिथि संपादक हैं तारानंद वियोगी। इस अंक में किरण जी पर मैथिली के महत्वपूर्ण लेखकों ने लिखा है। अंक के लिए अनलकांत (हिंदी वाले गौरीनाथ) से 0120-6475212 पर संपर्क करें या उन्हें antika1999@yahoo.co.in पर ईमेल करें।