Thursday, December 16, 2010

आत्म-गीत रवीन्द्रनाथ ठाकुर



































  सत् चितक मानि अनुरोध 
पन अथ-उथ के कयल विरोध 
कयल अपनहि पर जमि क' शोध
 प्राप्त निष्कर्ष करौलक बोध 
अपन अवरोध थिकहुं हम अपने। 
अपन गतिरोध थिकहुं हम अपने।। 

 कुलबोड़न,भव-युग-ताड़न हम 
छी कारण तथा निवारण हम 
मुंहझांपन, देहउघाड़न हम 
हम अगिलह, आगि-पझाबन हम 
से जानि भेल उत्पन्न महाविक्षोभ 
तं आयल क्रोध, क्रोध पर क्रोध 
पन जड़िखोध थिकहुं हम अपने।।

 कटु सत्यक तथ्य मथन कयलहुं 
शुभ जीवन हेतु जतन कयलहुं 
सब ओझराहटि सोझरा-सोझरा
संतुलनक विधिक चयन कयलहुं 
प्रतिशोधक कयल विरोध, 
मरल दुर्योध विना प्रतिरोध 
कयल सुख-बोध 
स्वयं हरिऔध थिकहुं हम अपने 
स्वयं हरिऔध थिकहुं अपने।। 

(प्रस्तुति--तारानंद वियोगी)

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