Tuesday, January 16, 2007

बभनगामाबाली भौजीक जीवनक महत्वपूर्ण घटना सभक एकटा संक्षिप्त विवरणिका

कृष्णमोहन झा

आ से एहेन अहिबाती के हेती
जे बभनगामाबाली भौजीक सोहाग-भाग देखि जरि नइँ जेती

ओना मानलहुँ
जे हुनका
पोथी-पतराक दर्शन नइँ भेलनि
मानलहुँ जे पाबनि-तिहारे हुनका तेल-कूड भेटलनि
मानलहुँ जे चाभीक गुच्छा
ओ कहियो अपन आँचर मे नहि बान्हि सकलीह
ईहो मानलहुँ जे लाख कबुलाक बादो
आजीवन ओ दोसर पुत्र-रत्न प्राप्त नहि क' सकलीह
मुदा निस्संदेह
एक टा भरल-पुरल जीवन केँ छाँटैत-फटकैत
अपन 37 बरखक बयस मे ओ
38289 टा सोहारी पकेलीह
2173 डेकची भात पसेलीह
13000 बेर बर्तन-बासन माँजलीह
307 बेर आँगन निपलीह
47 टा साडी आ 92 टा ब्लाउज पहिरलीह
275 राति भूखल सुतलीह
हुनका 3 बेर भेटलनि संभोगक सुख आ 949 बेर भेलनि बलात्कार
बेटी जनमौलनि 4 टा आ 5 बेर
भेलनि गर्भपात

मुदा ई देखू सभ सँ मार्मिक बात
जे ठीक बरसातिक प्रात
जखन हुनक सीथ रहनि सिनूर सँ कहकह करैत
आ भरल रहनि लहठी सँ हाथ-
तखन अपन स्वामीक आगू
बिना अन्न-जल ग्रहण कयने ओ
भ' गेली विदा.

9 comments:

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

अविनाश भैया,
सुप्रभात .
कविता बड नीक अछि,बभनगामाबाली भौजीक जीवनक महत्वपूर्ण घटना सभक एकटा संक्षिप्त विवरणिका....

विजय said...

आह....अति सुन्दर...अति मार्मिक...
मिथिलाक देहरी प बैसल एक गोट अबलाक जीवंत दास्तान....

देवाशीष प्रसून said...

अंतिका मे ई कविता पहिर बेर पढलि.ई एक टा अद्भुत चित्रन अछि - दोसरक सेवा मे हेरायल अपन देशक आम स्त्रीक.बाप,पति आ पुतक सेवा केर अतिरिक्त कोनो दोसर काज नहि आ अपन त कोनो जीनगी ए नहि अछि एक्कर .बभनगामाबाली भौजीक जीनगी सम्पूर्ण स्त्री जातिक जीनगी अछि.

Rajeev Ranjan Lal said...

मैथिलीक लेल हमर कोढ़ फाटै अछि आ हम रणे बने भेल घुरय छी जे कतहु कोनो टा कृति भेट जाय तऽ पढ़ि के मोन जुड़ाबी। ओही प्यास के बुझेबा दौरान जखन एम्हर सऽ हमर गेनाय भेल तऽ बुझि परल जे कतहु सऽ कोनो बून अमृत खसि पड़ल मुँह में आ हम आब दोसर बून के बाट जोहै छी।
अविनाश जी, बहुत नीक प्रयास अहाँ के, एकटा नीक रचना के आगाँ आनै के लेल। कृष्णमोहन जी सऽ कहबैन जे आउर रचना लऽ के मैथिल समाज के कृतार्थ करता।

vinod kumar mishra said...

hi,
it is an execellent move. i can appreciate it. go ahead.
vinod mishra

janakpur said...

hi
ham chhi shyamsundar shashi,ona ham janakpurdhamk chhi,muda ekhan patrakaritak silsils me ek bakhak baste qatar doha aael chhi.mithilak paban vumisan bahar aaelak baad apan vumik mahta bujhbame abaitchha.ham apan yogdan demay chahait chhi. ki ka sakait chhi.kewo suggest karu.khas ka avinash g san hamar khash aagrah.pls write your email address

vidyanandacharya said...

Mithila Mihir apan pooran

vidyanandacharya said...

Asha karait chhi je mithila mihir apan prachin parampara ke yuganukul navaka kari sabit hait.
vidyanand acharya

Gajendra said...
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