Wednesday, August 18, 2021

कृष्णमोहन झाक कविता अंग्रेजी अनुवाद सहित


 

बभनगामाबाली भौजीक जीवनक महत्वपूर्ण घटना सभक एकटा संक्षिप्त विवरणिका

कृष्णमोहन झा [Krishnamohan Jha]

आ से एहेन अहिबाती के हेती
जे बभनगामाबाली भौजीक सोहाग-भाग देखि जरि नइँ जेती

ओना मानलहुँ
जे हुनका
पोथी-पतराक दर्शन नइँ भेलनि
मानलहुँ जे पाबनि-तिहारे हुनका तेल-कूड भेटलनि
मानलहुँ जे चाभीक गुच्छा
ओ कहियो अपन आँचर मे नहि बान्हि सकलीह
ईहो मानलहुँ जे लाख कबुलाक बादो
आजीवन ओ दोसर पुत्र-रत्न प्राप्त नहि क' सकलीह
मुदा निस्संदेह
एक टा भरल-पुरल जीवन केँ छाँटैत-फटकैत
अपन 37 बरखक बयस मे ओ
38289 टा सोहारी पकेलीह
2173 डेकची भात पसेलीह
13000 बेर बर्तन-बासन माँजलीह
307 बेर आँगन निपलीह
47 टा साडी आ 92 टा ब्लाउज पहिरलीह
275 राति भूखल सुतलीह
हुनका 3 बेर भेटलनि संभोगक सुख आ 949 बेर भेलनि बलात्कार
बेटी जनमौलनि 4 टा आ 5 बेर
भेलनि गर्भपात

मुदा ई देखू सभ सँ मार्मिक बात
जे ठीक बरसातिक प्रात
जखन हुनक सीथ रहनि सिनूर सँ कहकह करैत
आ भरल रहनि लहठी सँ हाथ-
तखन अपन स्वामीक आगू
बिना अन्न-जल ग्रहण कयने ओ
भ' गेली विदा.

अंग्रेजी अनुवाद: शारदा झा [Sharda Jha]

A brief documentation of important events of my sister in law from Barhmin's village

There wouldn't be a single married woman
Who would not have envied the grace of my sister in law from the village of Brahmins

I accept she was uneducated

She received frugal things occasionally

She could never possess a significant place in her household

I also accept that despite endless prayers
She could never bear a second son

But certainly
While sifting through her wholesome life of 37 years
She baked 38289 breads
Cooked rice 2173 times
Cleaned vessels 13000 times
307 times daubed the courtyard
Wore 47 sarees and 92 pieces of bouses
Slept starving for 275 nights

She enjoyed copulation 3 times
And was raped 949 times
Gave birth to 4 girls and 5 times
Suffered abortion

But here is the most poignant thing
The very next morning of Barsait
When her forehead was glowing with vermilion
And her hands were full of bangels
In front of her husband
She passed away without having a morsel.

Friday, August 6, 2021

ग्लोबल चिन्ताक संग ठाढ़ मैथिली कविता अंग्रेजी एवं नेपाली अनुवाद सहित

 


1 अगस्त 2021 कें कवि-एक्टिविस्ट अजित आजादक संयोजकत्व मे मैथिली लेखक संघ एकटा विलक्षण कार्यक्रम सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारित केलक। ई हुनक व्यापक कार्ययोजनाक तेसर कड़ी छल।कार्यक्रम छल मैथिली कवि तारानंद वियोगीक एकल काव्यपाठ। संयोजन एहन छल जे मैथिलीक एक कविता सुनेलाक तुरंत बाद ओकर अंग्रेजी अनुवाद कवि-अनुवादक अंशुमान सत्यकेतु सुनाबथि आ तकर लगले ओकर नेपाली अनुवाद कवि-पत्रकार विजेता चौधरी प्रस्तुत करथि। समूचा सत्र मैथिली कविताक अंतर्राष्ट्रीय प्रेमी लोकनि कें समर्पित छल। कविता सब सेहो एहन रहय जाहि सं साफ स्पष्ट होइ छलै जे ग्लोबल चिन्ताक संग कोन तरहें मैथिली कविता आइ विश्व-कविताक संग ठाढ़ अछि। कार्यक्रमक संचालन मैथिली-अंग्रेजी कवि भास्कर झा क' रहल छला आ स्ट्रीम यार्ड पर आयोजित एहि कार्यक्रमक सोशल मीडिया पर प्रसारण युवा कवि-एक्टिविस्ट गुंजनश्री क' रहल छला।

विजेता चौधरी काठमांडू सं एहि कार्यक्रम मे भाग ल' रहल छली। ओहि ठामक मौसम खराब हेबाक कारण नेटवर्क कमजोर रहने बेर-बेर लाइन कटल, तें नेपाली अनुवादक रसास्वादन श्रोता लोकनि नीक जकां नहि क' सकला। सभक आग्रह रहनि जे एहि कविता सभक लिखित रूप सोशल मीडिया पर प्रकाशित कयल जाय।

एहि ठाम मूल मैथिली कविता, ओकर अंग्रेजी अनुवाद तथा नेपाली अनुवाद अविकल प्रस्तुत कयल जा रहल अछि। नीचां मे मूल कार्यक्रमक वीडियो-लिंक सेहो द' देल गेलैए।

https://youtu.be/LXDQzisec6o


तारानंद वियोगी [Taranana Viyogi]क मैथिली कविता


।।सुन्न वीरान इलाका मे रेल इंजिन फेल भ' गेला पर।।


दूर क्षितिज धरि निहारैत छी

कत्तहु नहि अछि एको टा मनुक्ख

ने एक्को टा देबाल

ने कारखानाक चिमनी

कत्तहु सं नै उठि रहल अछि धुआं, ने रुदन

से--

ई विशाल क्षेत्र ककरा राज मे पड़ै छै?


गाड़ी सं उतरि क' देखलहुं

ने जानि कोन कोन चिड़ै, जनम जनम के मीत लगैत

कोन कोन लता-गुल्म

एह, कते सोझ सोझ गाछ!

हम मोन पाड़य लगलहुं

एहन हरियर कचोर वनस्पति-राज

की हम अपना जनम मे कतहु देखनहु छी?


गर्व सं माथ उठौने

नान्हि नान्हि दूभि

हमरा देखलक आ खिलखिला देलक

कि तखनहि कोनो चिड़ै बाजल चीं चीं

ओह, दिल के बाग बाग होयब की एकरे कहै छै!


एक झंखार मे पैसि

हम बहुत रास फूल तोड़ि अनलहुं

जानि ने कोन कोन फूल

एकर सभक गांथब एक माला

आ अपन कोठली मे राखल ग्लोब कें पहिरा देबैक


सुकुमारि स्पर्शातुर हवा

लटपटा गेली हमर अंग-अंग सं

रोमांचित हम

श्वास-रन्ध्र सं होइत

फेफड़ाक गह-गह धरि

समा लेलहुं कुमारि हवा,

ने जानि कते कते नश्वरता कें

पिटपिटा देलिऐ


पृथ्वी हमरा लेल कतबा टाक छथि?

एहि कुमारि हवा कें समा क'

जतेक फुला सकै छी हम अपन फेफड़ा!


बगल द' क' बहि रहल अछि एक तन्वंगी नदी

अहा, केहन सुडौल छरहर बेमत्त मन्दाक्रान्ता!

कालिदास रहितथि तं फेर लिखल जाइत

वेत्रवती-आख्यान


हम गाड़ी मे घुरि अयलहुं


अपन अपन बोगी मे बन्न लोक

अपस्यांत अछि, फिरिसान

कखन इंजिन औतै, कखन

कखन लोक पहुंचत अपन अपन कबुरगाह?

जुलुम भेल, जुलुम

अइ जंगल मे लाबि क' धोखा देलक रेलवे

आफद अछि, आफद

कखन धरि रहय पड़त वीरान मे, कखन धरि?


अपन अपन समस्याक अभियुक्त

कैद अछि सबटा मोसाफिर अपन अपन बोगी मे!


बाहर

सुन्न वीरान अइ इलाकाक निवासीगण

हंसि रहल छथि

बिलहि रहल छथि आशीष।


अंग्रेजी अनुवाद: अंशुमान सत्यकेतु[Anshuman Satyaketu]

On failure of rail engine in a desserted area


I look far and wide up to the horizon

But find not a single soul

Nor any wall

No smoke is coming out of

Any factory chimney

No body is crying either

Whose kingdom does this vast territory belong to? 


Getting down the train I see

Various kinds of

Ever-friendly but unknown birds

Unknown creepers

Tall trees

I began to recall

If I have ever seen

The viridity of vast vegetation


Tiny tender grass

Peeping out with pride

Chanced a glance at me and giggled

When a bird began chirping

Is it what is called overjoy


I gathered

Some unknown flowers

From a bush

I would thread them in a wreath

And place it round the globe kept in my room


I was thrilled 

When the soothing and eager- to-touch air

Cuddled my limbs

I inhaled it in

To fill my lungs

So as to smother transiency


How big is the earth for me? 

Definitely as large as

The soothing air can make my lungs expand


A river

Slender, long, svelte, gracile and delusional

Is flowing by

Had Kalidas been alive

Vetravati Akhyan would have been rewritten


I returned back to my compartment


People, in their respective compartment, are

Tired and pestered

Waiting relentlessly for

The replacement of engine

And reaching their destination

It is our bad luck that

Railway has played false on us

Now we don't know

For how long we would have to stick here


Accused of their own problems

Passengers are confined to their respective compartments


Meanwhile the dwellers of this locality are

Smiling and 

Sending blessings from outside.


नेपाली अनुवाद: विजेता चौधरी[Bijeta Chaudhary]

शुन्य-विरानाे इलाकामा रेल इन्जिन फेल भए पछि 


टाढा क्षितिज तिर नियाल्छु

कहि कतै छैन एउटै मान्छे 

न एउटै पर्खाल

न त कारखानाकाे चिम्नी

कतैबाट पनि उठि रहेकाे छैन धुँवा

न त राेदन

अहाे...

याे विशाल क्षेत्र कसकाे राज्यमा पर्छ?


गाडीबाट अाेर्लेर हेरे

कुन्नि कुन-कुन चरा

जन्म जन्मका मीत लाग्थे

कुन-कुन लता-फूल

अहाे कस्तो ठाडाे र सीधा रूख!

बिचार्न थाले म

यस्तो हरियाे कचाेर वनस्पति-राज्य 

के मैले अाफ्नाे जन्ममा देखेकाे थिएँ र?


गर्वले शीर ठाडाे पारेकाे 

मसिनाे मसिनाे दूबाे

मलाई हेर्दै मुसुक्क हाँसिन्

उतिबेलै कुनै चराले गरे चिरबिर-चिरबिर

अहा, दिल बागबाग हुनु के यसैलाई भनेकाे हाे?


एउटा झाडीमा पसेर

म‌ैले थुप्रै फूल टिपेर ल्याएँ

कुन्नि कुन-कुन फूल

यी सबैलाई उनेर बनाउँछु एक माला

अनि लगाइदिन्छु अाफ्नाे काेठामा राखेकाे ग्लाेबलाई


सुकुमारी स्पर्शातुर हावा

लुटपुटिन अाइपुग्छिन् मेराे अंग अंगमा

राेमाञ्चित म

श्र्वास-रन्ध्र हुँदै

फाेक्साेकाे कुना काप्चासम्म

समाहित गरे कुमारी हावा

थाहा छैन

कति कति नाश्वरतालाई

थपथपाएर गई


पृथ्वी मेरालागि कत्रो छिन्?

यी कुमारी हावालाई भरेर

जति फूलाउन सक्छु 

म अाफ्नाे फाेक्साे !


छेउबाटै बगि रहेकी छन् एक तन्वंगी नदी

अहा, कस्ताे सुडाैल, छरिताे, बेमत्त मन्दाक्रान्ता

कालिदास भएका भए फेरि 

लेखिन्थ्याे हाेला वेत्रवती अाख्यान 


म गाडीमा फर्केर अाएँ

आफ्नो-आफ्नाे बाेगीमा 

थुनिएका छन् मान्छे

आजित अनि दिग्दार छन्

कतिबेला इन्जिन आउँछ, कतिबेला 

कतिबेला मान्छे पुग्छन् 

अा-अाफ्नाे कब्रगाह?

के अचम्म हाे यस्तो 

यस्तो जंगलमा ल्याएर 

धाेखा दिए रेल्बेले

अापत रहेछन् अापत

कतिबेलासम्म बस्नुपर्ने हाे

यस निर्जनमा, कतिबेलासम्म?


अा-अाफ्नाे समस्याका अभियुक्त 

कैद छन् सबै यात्रु अा-अाफ्नाे बाेगीमा

बाहिर शुन्य निर्जन यस इलाकाका निवासीगण

हाँसि रहेका छन्

बाँटी रहेका छन्, अाशिष ।।।


2

मैथिली कविता

।।घरबे।।


--घरबे छी यौ?

डेढ़िया पर सं अबाज द' रहल छथि

हमर क्यो अपेक्षित


हम घरे मे छी

घरक भीतर चौकी पर बैसल

निहारि रहल छी अइ बगड़ा कें


बगड़ा चार मे लगेने अछि अपन खोता

खोता मे ओकर चारि-पांच बच्चा

आ तकरा सब सं 

बतिया रहल अछि एखन विभोर


आ हम विभोर

एकरा सब कें निहारै मे


हम अपन घर मे छी

आ बगड़ा सेहो अपन घरे मे अछि


--घरबे छी यौ?

फेर पुकार लगबै छथि अपेक्षित


एह

केहन हो

जे हमरा बदला ई बगड़ा दियय जवाब

--आउ आउ अपेक्षित, अहांक स्वागत।


अंग्रेजी अनुवाद: अंशुमान सत्यकेतु

The Resident


Is there the resident inside? 

One of my intimates

Is calling from the portal


I am inside the house

Sitting in my bed

Gazing at the sparrow


The sparrow

Nesting in the thatched roof

Is busy right now

Talking to its 

Four or five fledglings 

With great rapture


And 

I am engrossed gazing at them


I am inside my house

And so is the sparrow


Is there the resident inside? 

Again calls the intimate

Wow! 

How amusing it will be

If the sparrow replies and Welcomes the guest

Instead of me.


नेपाली अनुवाद: विजेता चौधरी

घराँ हुनुहुन्छ हजुर!


घराँ हुनुहुन्छ हजुर...?

डीलबाट साेधी रहेका छन्

मेराे कुनै अपेक्षित ले ।


म घरमै छु

घरभित्र खाटमा बसेर

नियाली रहेको छु यस भँगेरीलाई


भँगेरीले छानामा बनाएकी छे गुँड

गुँडमा छ उनको 

चार-पाँच वटा बचेराहरू

जाेसंग विभाेर भएर

बात मार्दै छिन् उनी ! 


अनि म विभाेर छु नियाल्नमा

म अाफ्नाे घरमा छु

अनि भँगेरी पनि अाफ्नै घरमा छे


घराँ हुनुहुन्छ हजुर...?

फेरि बाेलाउँछन् अपेक्षितले !


अहाे, 

कस्तो हुन्थ्यो हाेला

मेराे साटाे यी भँगेरीले दिन्थिन जवाफ 

अाउनुस् अाउनुस् अपेक्षित,

यहाँकाे स्वागत !!


3

मैथिली कविता

।।अजान।।


अजान पढ़ि रहल छथि मौलवी साहेब

जेना कोनो तिलस्मी बांसुरी बाजि रहल हुअय

धैवत धुन मे

धोइत पखारैत सौंसे संसारक कोहराम कें


शब्द सं बहराइ छथि अल्लाह

आ, उठैत उठैत नि:शब्द धरि ठेका देल जाइ छथि

मूर्त सन करुणा एगो 

ओइ आलाप मे गुंथाएल छै,

बीच बीच मे जखन लैत छथि विराम

मुखर सं मुखरतर मौन

बाउग भ' जाइत अछि अंतरिक्ष मे

अंतरिक्षक निच्चां मे ठाढ़ हम उबडुब करैत शाश्वत मे

निरभ्र प्रतीक्षा आतुर--

कखन मौलवी साहेब अगिला पद कहथिन


अइ अनभुआर ठेकान पर ठहरल छी संयोगात

की पता, शेष चारि बेरका नमाज लेल अजान के दैत हेथिन

ई बेचारे तं उदित होइ छथि नित्त अही बेर

रातुक आखिरी अजान काल मे

आ कि सब बेर यैह दैत होथि

हमही नहि सुनि पबैत होइ कोहराम मे

जे अइ दिनक सब सं बड़का सत्य बनल अछि



जानि नहि, अइ बेचारे मौलवी साहेब कें

की कहि क' पुकारैत हेतनि हुनकर समाज 

मुअज्जम हुजूर तं नहियें कहैत केतनि

नै जानि आर्थिक सखापात कोन तरहें मदतगार होइत हेतनि

आ कि नै होइत हेतनि?

कहि नै असंतुष्ट तं नै कदाच रहैत हेता

जं रहैत हेता असंतुष्ट तं मनुष्यताक लेल ई कते महाअनर्थ बात!

बुद्धक करुणा जाहि व्यक्तिक अबाज मे प्रत्यक्ष

ओह, ओकरा तं राजा हेबाक चाही

मुदा, नहि जानि ...


पच्चासो टा प्रश्न मोन मे उचरैए

एक ओइ आदमीक लेल

जकरा कि कहियो हम देखनो नै छी

चिन्है परजन्त नै छी

बस एतबे मे एतबे जे

ओ ओम्हर पढ़ै छथि अजान 

आ एम्हर हम सुनैत छी उबडुब उन्मेष मे


जा धरि खतम नै भ' जाइए अजान

कत्तहु दोसर दिस नै जाएत चित्त ने कान

ओह, क्यो हमरा मौलवी साहेबक संग कहियो बैसाबितय!


अंग्रेजी अनुवाद: अंशुमान सत्यकेतु

Azaan: The Prayer


A maulavi is saying his prayer

As if some magical flute is being played

On Dhaivat note

To end the chaos from the world


Allah comes out of the word

But

With the rise in scale he becomes wordless

A tangible pathos is entwined

In the form of alaap

When he breathes in between

A sonant taciturnity pervades

The universe

Skipping with perpetuity 

under it

I am eagerly waiting for him

To say his next verse


I have reached this unacquainted place

Coincidentally

This poor guy appears everyday

On his scheduled time

To say the last prayer of the day

No idea about

Who says the remaining prayers

May be he is assigned for the same

Which, unfortunately, 

I missed out on account of the hubbub around, 

And it became

The cogent truth of the day


I simply can't say

How is Maulvi Sahab known as in his society

Definitely not as Muazzam Huzur

Whether his kith and kins help him economically or not

Whether he is dissatisfied

If so

How inane it is for humanity

He ought to be a king

Whose voice has the pathos of Lord Buddha

But alas...! 


A lots of queries erupt in my brain

For the person

I have never seen

Or have no acquaintance what so ever

There is the sole connection

He says the prayer at one end and

I listen to it with great alacrity


I won't let myself

Deviate hither and thither

Till the prayer is being said

I wish he will let me 

Sit beside him someday.


नेपाली अनुवाद: विजेता चौधरी

अजान


अजान पढि रहेका छन् माैलवी साहेब

कुनै तिलस्मी मूरली बजिरहेकोजस्तै

धैवत धुनमा

धाेइ-पखाली सारा संसारका काेलाहललाई

शब्दबाट अवतरित हुन्छन् अल्लाह

अनि उठ्दा-उठ्दै निःशब्दसम्म पुर्याइन्छ

गाँसिएको छ मूर्त एउटा करूणा

त्याे अालापमा,

बीच बीचमा जब लिन्छन् विराम

मुखरदेखि मुखरित माैन

विलिन हुन्छ अान्तरिक्षमा

अान्तरिक्ष मुनि उभिएर म

डुबुल्की मार्दै शाश्वतमा

निरभ्र प्रतीक्षा अातुर

कतिबेला सुनाउछन् माैलवी साहेबले

अर्को पद


याे अनाैठाे ठेगानामा उभिएको छु संयाेगान्त

थाहा छैन शेष चार पटक नमाजका लागि कसले दिन्छ अजान

यिनी विचरा नित्य उदित हुन्छन् यतिबेलै

रातिकाे अन्तिम अजानकाे बेला

अथवा हरेक पटक यिनैले दिन्छन् हाेला

मैले नै सुन्न नसकेको हाे कि काेलाहलमा

जाे बनेकाे छ यतिबेला 

सैबैभन्दा ठूलो सत्य 


कुन्नि, यी बिचरा माैलवी साहेबलाई

के भनेर बाेलाउँदा हुन् उनका समाजले

मुअज्जम हजुर त पक्कै पनि भन्दैनन हाेला

अनि थाहा छैन अार्थिक जाेरजाम कसरी पुर्याउँछन् हाेला

अथवा हुँदैन पाे कि?


असन्तुष्ट त कदाचित रहदैनन हाेला

यदि असंतुष्ट भएमा

मनुष्यताकाेललागि कति ठूलो महाअनर्थकाे कुरा


बुद्धकाे करूणा प्रत्यक्ष छ 

जुन व्यक्तिको अाबाजमा

अाह, उनलाई त राजा हुनुपर्ने 

तर कठै,


पचासौं प्रश्न मनमा उठ्नथाल्छ

एउटा यस्तो व्यक्तिकोलागि

जसलाई मैले कहिल्यै देखेको छैन

चिनेको पनि त छैन

बस यतिमात्र कि

उनी उता पढ्छन अजान

अनि म यता सुन्छ, चुर्लुम्मम उन्मेषमा डुबेर


जबसम्म सकिदैन अजान

कत‌ै अन्ततिर जाँदैन मेराे चित्त अनि कान

अाह, कसैले कुनै दिन

मलाई माैलवी साहेबकाे छेउमा बस्न लगाउँथ्याे ।।।


4

मैथिली कविता

।।चिड़ै-चुनमुन उगबैए रौद।।

अनंत अजस्र ऊर्जा तहिना हमर काया मे नुकाओल

जेना नान्हि टाक बीज मे विशाल बटवृक्ष,

मुदा, से खाली कहबाक बात


सुटकल रहै छी बिछाउन पर

बड़ी बड़ी भोर धरि

ओम्हर, बहार मे चिड़ै-चुनमुन करैत रहैए किलोल

मचौने रहैए अट्ठाबज्जर

माथ धुनैए, देह पटकैए

जानि नै कते कते मोर्चा जीतैए

आ अन्तत:

उगाइये अनैत अछि रौद


अन्हरझोलीक अइ कालखंड मे

अन्हारक विरुद्ध निर्णायक अइ युद्ध मे

कते जरूरी अछि रौद हमरा खातिर

सब क्यो जनिते छी


मुदा, हम अपने रहै छी सुटकल बिछाउन मे

आ, चिड़ै-चुनमुन उगबैए रौद।


अंग्रेजी अनुवाद: अंशुमान सत्यकेतु

Birds beget Sunlight


It is nothing but a gossip to say that

My existence has immense energy

Similarly as there is a colossal banyan tree 

Inside a tiny seed


I hid myself inside the bed

Till late in the morning

But outside

Birds hop and chirp

Creates destruction

Fight with grand unity

To register a victory

And finally beget sunlight


Everybody knows

How important is light for me

For the ultimate battle against darkness

In this age of illusion


Even then

I hid myself inside the bed

And birds beget sunlight.


नेपाली अनुवाद: विजेता चौधरी

चराचुरुङ्गीले उदाउँछन् घाम


अनन्त अजस्र उर्जा त्यसैगरि छ 

मेराे कायामा लुकेको 

जसरी  मसिनाे बीउमा विशाल बटवृक्ष

तर, यी भन्ने कुरा मात्र हुन् 


गुटमुटिएकाे हुन्छु अाेच्छयानमा

एकाविहान भरि

उता बाहिर भने चराचुरुङ्गीले

डाकी रहेका हुन्छन्

मच्चाउने गर्छन् काेकाेहल

उफ्रिफाप्रि गर्दै

जित्छन् अनेकौं माेर्चा

र अन्ततः उदाउन करैलाग्छ घामलाई


निर्लिप्त अध्यारो यस कालखण्डमा 

अन्धकार विरूद्ध निर्णायक 

यस युद्धमा

घाम कति अावश्यक छ मेरालागि 

सबैले थाहा पाएकै हुन्


तर म अाफैं

टास्सिएकै छु अाेच्छयानमा

अनि चराचुरुङ्गीले

उदाइ सकेका छन् घाम ।।


5

मैथिली कविता

।।पृथ्वी-राग।।


सौरमंडल मे छलि एकटा पृथ्वी जतय जीवन छलै

कहथि वैज्ञानिक लोकनि जे दोसरो दोसर ग्रहक मनुख

भेस बदलि क' पृथ्वी पर उतरय

पाबय तते ऊष्मा, तते राग


बहुत उमर भ' गेल रहै पृथ्वीक

तें आगूक औरदा कम छल

ज्ञानी लोकनिक आंखि

अइ सं नम छल,

ओ लोकनि आर कइये की सकै छला

पृथ्वी छल नेता सभक कब्जा मे

जाहि ढहुरी कें मनुखतो धरिक पहचान नै

ने ज्ञानक लेल आदर

ने जीवनक लेल राग,

परमात्मा हेता तं अचरज करैत हेता जरूर

सैह, एहनो लोक रहल अइ लोक मे

जकरा लेल जीवन मने अपने टा जीवन

सुख माने अपने टा सुख

दुख माने अपने टा पार्टीक हारब


मरि रहल छलि पृथ्वी नहुं नहुं

मारि रहल छला नेता लोकनि

कुहरि रहल छल विदीर्ण हृदय

मुदा मनुखक भवितव्य देखियौ

नेतेक कब्जा मे छलि पृथ्वी

आ मनुख होइतो

लोक जीबि रहल छल नेतेक हजूरी मे


अइ बात पर आब

होथि तं कप्पार पीटथि परमात्मा

जे नेताक पैदाइश होइ छल अधिकतर वोट सं

आ वोट दियय के, तं मनुख!


अंग्रेजी अनुवाद: अंशुमान सत्यकेतु

 Affection for the Earth


There was an earth in the solar system

Where existed life

Scientists say that 

People from other planets

Used to visit the earth in disguise

To get some warmth and affection


The earth had gone very old 

And its end was quite near

Because of it

Wise men had tears in their eyes

What more could they do

The earth was taken over 

By the lewd leaders

Who didn't recognise humanity

Nor had the respect for knowledge

Not even affection for life

Almighty overhead

Would be wondering

If such people lived on this earth

Who only thought about their

Lives and welfare

And considered party's defeat

As their loss


Leaders were striking down the earth

Bit by bit

Which left our heart 

Shattered and moaning

But look at people's destiny

They still are the yes men of the leaders

Who has imprisoned the earth


If God exists somewhere

He must repent for

Votes create leaders and

People caste votes for them.


नेपाली अनुवाद: विजेता चौधरी

पृथ्वी-राग


साैर्य मण्डलमा थियाे एउटा पृथ्वी 

जहाँ जीवन थियाे

भन्थे वैज्ञानिकहरूले

अन्य अन्य ग्रहका मानिस

भेष बदलेर पृथ्वी माथि झर्थे

पाउथे अधिक उष्मा अनि राग


उमेर धेरै भएको थियाे पृथ्वीकाे

त्यै भएर कम थियाे बाँकी अायू

हाे यही कारण अाँखा रसाउँथ्याे ज्ञानीहरूकाे

तिनीहरू अरू के नै गर्न सक्थे र

पृथ्वी थियाे नेताकाे कब्जामा

जुन लठुवालाई मानवता धरिकाे पहिचान छैन


न ज्ञानको लागि अादर

न त जीवनकाे लागि राग

परमात्मा कतै छन् भने

अाश्चर्य मान्दैछन् हाेला पक्कै

यस्ता मानव पनि छन् यस लाेकमा

जसकाेलागि जीवन भनेको 

अाफ्नाे मात्रै जीवन

सुख भनेकाे अाफ्नाे मात्रै सुख

दुःख भनेकाे अाफ्नाे पार्टी मात्र हार्नु


मरिरहेकाे छ पृथ्वी विस्तारै विस्तारै 

मारिरहेका छन् नेताहरूले

कहारि रहेका छन् विदिर्ण हृदय

तर मानवकाे भविषय कठै!

नेताकाे कब्जामा छ पृथ्वी 

अनि मानव भएर पनि

मान्छे बाँचिरहेका छन् नेताकै हजुरीमा


यस्तो चाला देखेर

कतै छन् भने परमात्माले अाफ्नै खप्परमा हिर्काउथे 

जुन नेताकाे जन्म नै

अधिकांश भाेटले हुन्थ्यो 

ती भाेट दिने काे, त्य‌ै मानवले।।