हम छी कमलाकांत
भरि राति खसल सीत
चंद्रमणि गबैत रहला गीत
केओ थोपड़ी केओ चुटकी सं दैत रहल जोश
मुदा जे देलक टिहकारी कनखिया क'
उ छल सभ सं फर्रोश
एमेलेकेडमी'क पंडाल मे पसरल अछि पुआर
मुदा जिनकर पैंसब छैन्ह प्रतिबंधित से छथि गुआर
तें जखन बदलल जमाना
बदलि गेल रामकथा ससि किरन समाना
आब अछि पासमानक भरनी दुसाधक ताना
संकल्पलोकक बैसि गेल भट्ठा
गुदड़ी मे बिका गेल सोन सन इतिहास कट्ठा पर कट्ठा
आब एमएलएसएम मे होइत अछि बिदापति समारोह
आह, की आरोह-अवरोह!
मंच सं बाजि रहला अछि संचालक,
'हारमोनियम पर छथि शिशकांत
तबला पर छथि चंद्रकांत
झालि बजओता उदयकांत
गओता हेमकांत
आ हम छी कमलाकांत!'
अहियो पर थोपड़ी!
मुदा सुनय बला सुनि रहल अछि
संस्कृतिक ओसारा पर बड़का लोकक कोरस
गांती मे केओ नहि अछि गुआर
चौबगली पसरल अछि पावन-पवित्र पुआर
मिथिलाक पोखरि बाभनक बंसी सं डेराएल
संस्कृति मे सामाजिक न्याय एखनो अछि हेराएल
तें कतबो कहथु संचालक, हम छी कमलाकांत
लोकबेद करबे टा करत टोंट जे अदौ सं अछि आक्रांत!
अदौ सं अछि श्रोताकांत!