Showing posts with label चवन्नी. Show all posts
Showing posts with label चवन्नी. Show all posts

Thursday, June 30, 2011

चवन्नी


कुछ लोग मर तो जाते हैं बहुत पहले मगर दफनाए बहुत बाद में जाते हैं। जैसे चवन्नी। रघुवर को अचरज लग रहा था-- आज आकर मरी है चवन्नी? गजब करते हो साहब, मुझे तो पांच बरस से उसके दर्शन नहीं हुए। मैंने कहा--घबराओ मत रघू, ये अठन्नी और टकही भी जल्द ही जाएगी, क्योंकि राज तो ये सलामत रहना ही रहना है। दिक्कत न हनुमान जी को हुई है,न पंडित जी को। उनके लिए तो अच्छा हुआ कि सवा रुपये के पचडे से पिंड छूटा। दिक्कत गरीब को हुई है कि किफायत बरतने का एक स्वीकृति-प्राप्त जरिया उनसे छिन गया। दिक्कत मुझे हुई है कि अपनी गौरी की चवनियां मुस्कान के लिए कोई दूसरा शब्द खोजे से नहीं मिल रहा। तुम ही नहीं मरी हो चवन्नी, तुम्हारे साथ-साथ गरीब की औकात भी थोडी-थोडी मर गई है।